हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَلَئِن قُتِلْتُمْ فِي سَبِيلِ اللَّهِ أَوْ مُتُّمْ لَمَغْفِرَةٌ مِّنَ اللَّهِ وَرَحْمَةٌ خَيْرٌ مِّمَّا يَجْمَعُونَ वलइन क़ोतिलतुम फ़ी सबीलिल्लाहे ओ मुत्तुम लमग़फ़ेरतुम मिनल्लाहे व रहमतुन ख़ैरुन मिम्मा यजमऊन (आले-इमारन, 157)
अनुवाद: और अगर तुम ख़ुदा की राह में क़त्ल कर दिए जाओ, या अपनी मौत मर जाओ, तो बेशक अल्लाह की मग़फ़िरत और उसकी रहमत उस चीज़ से बेहतर है जो लोग जमा करते हैं।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣मारे जाने (शहादत) और ईश्वर के मार्ग में मरने से पापों की क्षमा मिलती है और सर्वशक्तिमान ईश्वर की दया प्राप्त होती है।
2️⃣ लक्ष्य और मार्ग की दिव्यता ही मानवीय कर्मों के मूल्य का मानक है।
3️⃣ खुदा की राह में शहादत का दर्जा उसकी राह में मौत से भी बढ़कर है।
4️⃣ सर्वशक्तिमान ईश्वर वह है जो उहुद की लड़ाई के शहीदों को माफ कर देता है और उन पर अपनी दया प्रदान करता है।
5️⃣ सर्वशक्तिमान ईश्वर द्वारा मनुष्य के पापों की क्षमा, ईश्वर की विशेष दया का आशीर्वाद पाने का एक तम्बू है।
6️⃣ भगवान की क्षमा और दया सभी धन और सांसारिक संसाधनों से अधिक मूल्यवान है।
7.जीवन और मृत्यु की दैवीय पूर्वनियति में विश्वास, और शहादत के उच्च मूल्य की मान्यता, धर्म के दुश्मनों के साथ युद्ध करना आसान बनाती है।
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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान